सन् 2011 में लिखी मेरी पुस्तक ‘आओ हिंद में सिंध बनायें’ को लेकर सिंधी समाज में अखिल भारतीय स्तर पर चर्चा है | ‘हिंद में सिंध’ एक विचार है | इस विचार में दम होगा यानि यदि भारतीय सिंधी समाज सहित सभी भारतीय ‘हिंद में सिंध’ बनते देखना चाहेंगे और यह निर्माण सरल तथा सुगम होगा तो समझिये कि हिंद में सिंध बनेगा |
‘हिंद में सिंध’ क्यों, कहाँ और कैसे?
क्यों?
- हिंद के राष्ट्रगान में हम सिंध का गायन सम्मान के साथ करते हैं पर धरातल पर हिंद में सिंध कहीं नहीं है | इस प्रकार हमारा राष्ट्रगान कहीं न कहीं किसी न किसी प्रकार अपूर्ण है – अधूरा है | सिंध बना हम राष्ट्रगान को पूर्ण कर लेंगे |
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